एमसीआई संशोधन विधेयक संसद से पास

एमसीआई संशोधन विधेयक संसद से पास

सेहतराग टीम

संसद ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, एमसीआई) संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के कार्यो को दो वर्षो के लिए एक शासी बोर्ड को सौंपे जाने और इस दौरान परिषद के पुनर्गठन का प्रस्ताव किया गया है। गुरुवार को यह विधेयक राज्‍यसभा से पारित किया गया जबकि लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में ‘भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक-2019’ पर चर्चा के बाद इसे ध्वनिमत से पारित किया गया। यह विधेयक इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 को प्रतिस्थापित करने के लिए पेश किया गया था।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई में एक भी पद भरा नहीं होने की स्थिति बनने के बाद 2010 की व्यवस्था का अनुसरण करते हुए शासी बोर्ड बनाया गया जिसने पिछले आठ महीने में देश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और काम किए हैं। उन्होंने विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा एमसीआई में बदलाव को लेकर सरकार की मंशा पर उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए कहा कि 2014 से एमसीआई की कार्यप्रणाली को पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए गए। 
हर्षवर्धन ने कहा कि एमसीआई के बोर्ड में प्रतिष्ठित डॉक्टरों को शामिल किया गया। बोर्ड ने पिछले आठ महीने में देश के सभी इलाकों में संचालित मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 15 हजार सीटें बढ़ा दीं जो अपने आप में रिकार्ड है। बोर्ड ने ज्यादा मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी और नियामक समय सीमाओं को भी पूरा किया।

हर्षवर्धन ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है और सरकार जल्द स्थाई समाधान के तौर पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक लेकर आएगी।

उन्होंने कहा, ‘एनएमसी विधेयक जल्द संसद में आएगा और स्थाई व्यवस्था बनेगी।’ उन्होंने सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार का एमसीआई की स्वायत्तता को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। वह बोर्ड के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती और केवल कामकाज पर निगरानी रखती है।

हर्षवर्धन ने शासी बोर्ड के कामकाज का उल्लेख करते हुए कहा कि अध्यापकों की गुणवत्ता और सीटें बढ़ाने में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अधिकतर राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सीटों को लागू कर दिया। मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन और माकपा के बिनय विस्वम द्वारा पेश संशोधनों को खारिज कर विधेयक को मंजूरी दे दी।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।